अतीत की कुछ यादे  ……..

बहुत दिनों बाद अपनी लेखनी उठाई है शायद आप सब को पसंद आये । 

अतीत जिसे वर्तमान का पहिया रोज बुनता जा रहा है ……

कुछ नई बाते नई यादे जुड़ती जाती है

अतीत से मेरी एक छोटी सी गुजारिश….
समय कितना तीव्र जा रहा है 

अतीत के पन्नो को बुनता जा रहा है 

रोज नया अतीत बनकर सामने आता जा रहा है 

समय कितना तीव्र जा रहा है 
जिसके साथ बिताए पल कभी गुलशन थे 

आज वो अतीत की यादों में तन्हा है 

जो कभी समझाया करते थे दुलराया करते थे 

अब अक्सर उनकी यादे रुलाया करती है 

देखो समय कितना तीव्र जा रहा है 
जब वो घर से हर रोज निकलते थे 

और हम उनके आने का इंतजार किया करते थे 

जब वो दूर जाया करते थे 

हम उनसे मिलने की मिन्नते किया करते थे 

आज उन्ही  की यादों में पल भर में रो देते हैं
देखो समय कितना तीव्र जा रहा है ।
क्या पता नया सवेरा लाएगा क्या ,ले जाएगा क्या ,समझायेगा क्या , दिखायेगा क्या 

अतीत को दोहराएगा क्या यदि हो सके तो कह देना मेरे पिता से मिलवाएगा क्या ……
कुछ बात कहनी थी मुझे कुछ डॉट सुननी थी मुझे 

इतनी भी क्या जल्दी थी जो चले दिए छोड़ कर मुझे 
ऐ समय तू अतीत में रुक जाएगा क्या …………
                                            By – अपूर्व पांडेय